Wednesday, June 25, 2008

मेरी सोच...

दिए की लौ सा है ये दिल,
ज़रा से झोंके से कांप उठता है,
यूँ तो कोई बात नहीं जिससे घबराता है दिल,
बस आइना बन जाने से डरता है...
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इक पल की है ख़ुशी,
इक पल गम का साया,
इक पल की है मुहब्बत,
इक पल नफरत में बिताया,
पल पल की इस कशमकश से ही तो जीने का मज़ा है,
वरना किसे पता की ज़िन्दगी क्या है...
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जिस राह तुम चलो उसकी छाया मैं हूँ,
जिस राह तुम चलो उसकी दिशा मैं हूँ,
चाहे मंजिल न सही,
पर तुम्हारे सफर का हमसफ़र मैं हूँ...
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