आज..
कुछ ऐसा कह दो कि आँख भर आये..
आज..
कुछ ऐसा कह दो कि धड़कन थम जाये..
बेमतलब की वो हंसी फिर से हंस दो..
ऐसे..
कि दिल बेधड़क झूम जाये..
रुक जाये ये पल कुछ पल यहीं..
झुक जाये वो दरख़्त आम का यूँ कहीं..
उस बगिया में कोई कच्ची अमिया चुराए..
ऐसे..
कि बचपन मेरा लौट आये..
बहुत दिन हुए खुद से बातें किये..
गीत यूँ ही कोई गुनगुनाते हुए..
बेफिक्री से हाथों में छल्ला घुमाये
ऐसे..
कि लड़कपन मेरा मुस्कुराये..
चुकाई है कीमत हर सपने की दिल ने..
ख़ुशी भी मिली, खिज़ा भी है दिल में..
ना समझो कि ये मन चुगली लगाये..
एवे..
चलो आज बारिश का जश्न मनाएं..
आज..
कुछ ऐसा कह दो कि आँख भर आये..