रातों की तन्हाई में अक्सर चाँद को छुपते देखा है,
चांदनी से दूर
तारों के पास जाते देखा है,
हम तो इस जोड़ी के हमेशा से कायल थे..
पर इस पलछिन में एक दुसरे से दूर जाते देखा है,
खुद खुदा भी इस साथ को बचा न पाया
ज़माने भर में चाँद के साथ चकोर जुड़ गया,
चांदनी फिर भी अकेली रह गयी..
और चाँद को
कभी तारों तो कभी चकोर का साथ मिल गया...
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