Sunday, June 29, 2008
Wednesday, June 25, 2008
रातों की तन्हाई में अक्सर चाँद को छुपते देखा है,
चांदनी से दूर
तारों के पास जाते देखा है,
हम तो इस जोड़ी के हमेशा से कायल थे..
पर इस पलछिन में एक दुसरे से दूर जाते देखा है,
खुद खुदा भी इस साथ को बचा न पाया
ज़माने भर में चाँद के साथ चकोर जुड़ गया,
चांदनी फिर भी अकेली रह गयी..
और चाँद को
कभी तारों तो कभी चकोर का साथ मिल गया...
चांदनी से दूर
तारों के पास जाते देखा है,
हम तो इस जोड़ी के हमेशा से कायल थे..
पर इस पलछिन में एक दुसरे से दूर जाते देखा है,
खुद खुदा भी इस साथ को बचा न पाया
ज़माने भर में चाँद के साथ चकोर जुड़ गया,
चांदनी फिर भी अकेली रह गयी..
और चाँद को
कभी तारों तो कभी चकोर का साथ मिल गया...
मेरी सोच...
दिए की लौ सा है ये दिल,
ज़रा से झोंके से कांप उठता है,
यूँ तो कोई बात नहीं जिससे घबराता है दिल,
बस आइना बन जाने से डरता है...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इक पल की है ख़ुशी,
इक पल गम का साया,
इक पल की है मुहब्बत,
इक पल नफरत में बिताया,
पल पल की इस कशमकश से ही तो जीने का मज़ा है,
वरना किसे पता की ज़िन्दगी क्या है...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जिस राह तुम चलो उसकी छाया मैं हूँ,
जिस राह तुम चलो उसकी दिशा मैं हूँ,
चाहे मंजिल न सही,
पर तुम्हारे सफर का हमसफ़र मैं हूँ...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ज़रा से झोंके से कांप उठता है,
यूँ तो कोई बात नहीं जिससे घबराता है दिल,
बस आइना बन जाने से डरता है...
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इक पल की है ख़ुशी,
इक पल गम का साया,
इक पल की है मुहब्बत,
इक पल नफरत में बिताया,
पल पल की इस कशमकश से ही तो जीने का मज़ा है,
वरना किसे पता की ज़िन्दगी क्या है...
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जिस राह तुम चलो उसकी छाया मैं हूँ,
जिस राह तुम चलो उसकी दिशा मैं हूँ,
चाहे मंजिल न सही,
पर तुम्हारे सफर का हमसफ़र मैं हूँ...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कौन कहता है कि वो हमारे साथ नहीं,
कौन कहता है कि वो हमारे पास नहीं,
देखने के लिए तो नज़र भर चाहिए बस,
वरना किसे पता कि खुदा भी होता है...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
क्या मंदिर क्या मस्जिद,
मुझ रहगुज़र के लिए तो तेरा तस्सवुर ही काफ़ी है...
लोग ढूंढते हैं गिरिजों औ शिवालों में रब को,
मेरे लिए तो आप ही रब हैं...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब हमने देखा तो तुम नहीं थे,
जो हमने सुना वो तुम नहीं थे,
पुकार कर देखा...
तब भी तुम नहीं थे,
पर फिर खुद को आईने में देखा...
तुम यहीं थे,
यहीं थे,
यहीं थे..
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जब हम ज़िन्दगी से निराश होते हैं,
तुझे याद कर लेते हैं,
सोचते हैं मुश्किलों से कैसे निकलें,
फिर तेरी मुस्कराहट महसूस कर लेते हैं,
गर फिर भी रह गयी कमी...
आँखें बंद कर तेरा दीदार कर लेते हैं...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हम खुश रहते है ये सोच के
कि आप खुश हैं..
हम रो देते हैं ये जान के
कि आप उदास हैं..
ये और बात है कि ज़िन्दगी पर नाम हमारा लिखा है,
पर हमारे लिए इसे जीते तो आप हैं...
कौन कहता है कि वो हमारे पास नहीं,
देखने के लिए तो नज़र भर चाहिए बस,
वरना किसे पता कि खुदा भी होता है...
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क्या मंदिर क्या मस्जिद,
मुझ रहगुज़र के लिए तो तेरा तस्सवुर ही काफ़ी है...
लोग ढूंढते हैं गिरिजों औ शिवालों में रब को,
मेरे लिए तो आप ही रब हैं...
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जब हमने देखा तो तुम नहीं थे,
जो हमने सुना वो तुम नहीं थे,
पुकार कर देखा...
तब भी तुम नहीं थे,
पर फिर खुद को आईने में देखा...
तुम यहीं थे,
यहीं थे,
यहीं थे..
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जब हम ज़िन्दगी से निराश होते हैं,
तुझे याद कर लेते हैं,
सोचते हैं मुश्किलों से कैसे निकलें,
फिर तेरी मुस्कराहट महसूस कर लेते हैं,
गर फिर भी रह गयी कमी...
आँखें बंद कर तेरा दीदार कर लेते हैं...
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हम खुश रहते है ये सोच के
कि आप खुश हैं..
हम रो देते हैं ये जान के
कि आप उदास हैं..
ये और बात है कि ज़िन्दगी पर नाम हमारा लिखा है,
पर हमारे लिए इसे जीते तो आप हैं...
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